21 घंटे पहलेलेखक: शाहीन अंसारी
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मेरा नाम खुशी साहू है। मैं महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, इंदौर में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हूं। मैंने साल 2023 में नीट एग्जाम में 641 स्कोर किया था। मैं लटेरी जिला विदिशा की रहने वाली हूं। मेरी स्कूलिंग सिरौंज संस्कार वैली स्कूल से हुई।
10वीं के बाद जब मैंने आगे की पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जाने के बारे में सोचा तो मेरे भैया ने सलाह दी कि तुम नीट की तैयारी 11वीं, 12वीं की पढ़ाई के साथ ही शुरू कर दो। उन्हीं की सलाह पर मैं 11वीं से नीट की तैयारी शुरू करने के लिए भोपाल आ गई।
फर्स्ट अटेम्प्ट में नहीं मिली सफलता
11वीं में मेरी अच्छी तैयारी चल रही थी, लेकिन 11वीं के आखिर में कोरोना की शुरुआत हुई। इस वजह से मुझे भोपाल से मेरे घर लटेरी वापस जाना पड़ा। गांव में पढ़ाई का माहौल ज्यादा नहीं होने की वजह से मेरी नीट की बहुत अच्छी तैयारी नहीं हो पाई। नीट के लिए मैंने पहला अटेम्प्ट 2021 में दिया, लेकिन इसमें मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया।
तेज बारिश में एग्जाम सेंटर लेट पहुंची
फिर मैंने ड्रॉप लिया और वापस भोपाल गई। इस बार मैंने पहले से ज्यादा तैयारी की। मुझे लग भी रहा था कि इस बार मेरा सिलेक्शन हो जाएगा, लेकिन जिस दिन नीट का एग्जाम था, उस दिन बारिश तेज हो रही थी जिसकी वजह से मैं एग्जाम सेंटर पर थोड़ी देर से पहुंची। वहां पहुंचकर मेरा एंग्जाइटी लेवल बढ़ गया।
गलती होने पर बढ़ा एंग्जाइटी लेवल
इस सबके बावजूद मैं थोड़ा रिलैक्स हुई, लेकिन जब एग्जाम हॉल में मैंने ओएमआर शीट में अपना रोल नंबर लिखा तो वह गलत लिखा गया। मैं घबरा गई। ऐसे में वहां मौजूद इनविजिलेटर्स ने मुझे समझाया कि अब जो हो गया, वह रहने दो और अपने पेपर पर फोकस करो।
सेल्फ स्टडी के लिए मैं हमेशा ज्यादा से ज्यादा प्रश्न सॉल्व करने की कोशिश करती थी। जितने भी प्रीवियस क्वेश्चन थे, मैंने उनकी अच्छी तरह प्रैक्टिस की।
सबसे टफ सब्जेक्ट फिजिक्स लगा
मैंने 11वीं और 12वीं के सिलेबस को पूरा करने के साथ ही नीट सिलेबस को भी कवर किया। हालांकि जिस विषय को लेकर मुझे सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ी, वो फिजिक्स था।
मुश्किल हालातों में खुद को मोटिवेट किया
मेरा एंग्जाइटी लेवल बढ़ गया। मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और अपना पेपर लिखा। हालांकि मुझे लग रहा था कि मेरा पेपर अच्छा नहीं हुआ है। मुझे जिस बात का डर था वही हुआ। नींट यूजी में 20-25 पासिंग मार्क्स कम होने की वजह से मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया। मैं बहुत डिप्रेस हो गई थी, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। उन हालातों में मैंने खुद को बहुत मोटिवेट किया।
फिर हिम्मत करके भोपाल आई
मुझे मेरे मम्मी-पापा ने समझाया कि किसी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले लो, लेकिन मैं इस बात के लिए राजी नहीं हुई। मैंने एक बार फिर हिम्मत दिखाई और नीट प्रिपरेशन के लिए भोपाल आ गई। नीट की दोबारा तैयार की और इस बार मेरा सिलेक्शन हुआ। आखिर मेरे हौसले की जीत हुई।
इन टॉपिक्स पर किया फोकस
NEET एग्जाम की तैयारी के दौरान मैंने उन टॉपिक्स पर सबसे ज्यादा फोकस किया जो पिछले सालों में बार-बार रिपीट हो रहे थे। साथ ही यू-टयूब और आकाश इंस्टीट्यूट के टीचर्स की मदद से क्वेश्चन रिलेटेड प्रॉब्लम सॉल्व कीं।
स्टूडेंट्स से मैं ये कहना चाहती हूं कि वे अपनी लाइफ में लक्ष्य निर्धारित करें और उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करें। अगर कोई कठिनाई आए तो डिप्रेस होकर छोड़ देने के बजाय दोबारा चांस लें। हो सकता है इस बार आपकी मेहनत कामयाब हो जाए।