Sonia Gandhi
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सोनिया गांधी ने जब रायबरेली में चुनाव न लड़ने का एलान कर एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी को रायबरेली की गलियों से लेकर लखनऊ और दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में इमोशनल चिट्ठी बताया गया था, लेकिन शुक्रवार को जब सोनिया गांधी ने रायबरेली के मंच से भाषण दिया, तो उस भाषण के शब्दों में भावनाएं और भावुकता भरी हुई थीं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अपने पूरे भाषण के दौरान सोनिया गांधी ने 65 सेकंड की जो लाइनें रायबरेली की जनता के सामने बोलीं, उसे रायबरेली के पूरे चुनाव की बाजी पलटने जैसा कहा जा रहा है। दरअसल, इन 65 सेकंड में राहुल गांधी के लिए सोनिया गांधी ने ‘अपना राहुल आपको सौंप रही हूं’ जैसी इमोशनल लाइन बोलकर चुनाव में मजबूती बढ़ा दी है। जानकारों का मानना है कि बीते कुछ सालों में सोनिया गांधी का यह भाषण सबसे इमोशनल था।
रायबरेली से सोनिया गांधी के चुनाव न लड़ने की घोषणा पर कयास इस बात के लगाए जा रहे थे कि आखिर यहां से चुनाव कौन लड़ेगा। बात जब राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर आई, तो राजनीतिक जानकारों ने कांग्रेस की इस सीट हार और जीत के अनुमान लगाए जाने के समीकरण जुटाने शुरू कर दिए। राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश प्रताप सिंह कहते हैं कि चर्चा इस बात की हो रही थी कि रायबरेली से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी कौन होगा। इसका सियासी जोड़ घटाव उस प्रत्याशी के साथ जोड़ा जा रहा था। सिंह कहते हैं कि वैसे तो इस सीट पर जातिगत और सियासी समीकरण तब ज्यादा मजबूत बैठते जब गांधी परिवार से कोई चुनाव न लड़ता। लेकिन सोनिया गांधी ने जब अपनी रायबरेली की इस विरासत को राहुल गांधी के हवाले किया, तो जातिगत और सियासी समीकरण किनारे हो गए।
वह कहते हैं कि बची हुई कसर शुक्रवार को रायबरेली में सोनिया गांधी की रैली और जनता के संबोधन से पूरी हो गई। राजनीतिक जानकार ओम प्रकाश मिश्रा कहते हैं कि वैसे तो सोनिया गांधी का रायबरेली की जनता को किया गया संबोधन बेहद भावुक भरा था। लेकिन इस पूरे भावुक संबोधन के दौरान 1 मिनट 5 सेकंड के लिए की गई सोनिया गांधी की अपील ने रायबरेली की सियासत में पूरी बाजी ही पलट दी। वह कहते हैं कि 65 सेकंड के इस भाषण के दौरान सोनिया गांधी ने जब रायबरेली की जनता से “मैं अपना राहुल आपको सौंप रही हूं” कहा, तो यह इस पूरे भाषण का सबसे इमोशनल पॉइंट हो गया। मिश्रा कहते हैं कि इस दौरान राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक सोनिया गांधी के मंच पर थीं। और मंच के सामने खड़ी जनता सोनिया गांधी की हर भावुक बात पर जमकर तालियां बजा रही थी।
सियासी जानकारों का कहना है कि रायबरेली में इस भावुक भाषण से पहले सोनिया गांधी की यह इमोशनल चिट्ठी भी खूब वायरल हई थी। उसके बाद सोनिया गांधी ने शुक्रवार को गठबंधन के संयुक्त रैली से रायबरेली की जनता को एक अलग तरह का संदेश देकर मार्मिक अपील की। उन्होंने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा आंचल आपके प्रेम और आर्शीवाद से जीवनभर भरा रहा। आपके प्रेम ने मुझे कभी भी अकेले नहीं पड़ने दिया। मेरा सब कुछ आपका दिया हुआ है। मैं आपको अपना बेटा सौंप रही हूं। जैसे आपने मुझे अपना माना, वैसे ही आपको राहुल को अपना मान कर रखना है, राहुल आपको निराश नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अमेठी-रायबरेली से हमारा रिश्ता 103 साल पहले किसान आंदोलन के समय से शुरू होता है, और अब मैं अपना राहुल आपको सौंप रही हूं।
कानपुर विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के पूर्व प्रवक्ता डॉक्टर दामोदर डी. सचान कहते हैं कि सियासत में कही गई बातों के लोगों पर बहुत गहरे प्रभाव पड़ते हैं। खासतौर से तब जब कोई प्रभावशाली नेता जनता से मुखातिब होता है। सचान कहते हैं की बात चाहे सोनिया गांधी की रायबरेली में राहुल के लिए की गई भावुक अपील से हो या किसी मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनता से की गई अपील हों। यह सभी अपील जनता के दिलों दिमाग पर बहुत मजबूती से असर डालती हैं। सचान कहते हैं कि निश्चित तौर पर सोनिया गांधी की 65 सेकंड की राहुल गांधी के लिए की गई अपील लोगों के दिलों दिमाग पर छाएगी। हालांकि इसका सियासी असर क्या होगा यह तो वह नहीं जानते। लेकिन सियासत में भावुकता बहुत काम करती है।