Khabron Ke Khiladi Bsp Akash Anand Mayawati Political Message Know About Politics Of Donation – Amar Ujala Hindi News Live


Khabron Ke Khiladi BSP Akash Anand Mayawati Political Message know about politics of donation

खबरों के खिलाड़ी में मायावती की राजनीति पर चर्चा
– फोटो : amar ujala graphics

विस्तार


लोकसभा चुनाव के बीच बसपा प्रमुख मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी के संयोजक पद से हटा दिया। अब वह मायावती के उत्तराधिकारी भी नहीं रहेंगे। आकाश आनंद को हटाने के पीछे आखिर वजह क्या रही? अपने इस कदम से मायावती क्या संदेश देना चाहती हैं? क्या यह लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद के समीकरण साधने की कोशिश है? इन सभी सवालों पर इस हफ्ते के ‘खबरों के खिलाड़ी’ में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, अवधेश कुमार और पूर्णिमा त्रिपाठी मौजूद थे।

समीर चौगांवकर: 2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त सहारानपुर दंगे से प्रभावित क्षेत्रों में मायावती आकाश आनंद को लेकर गईं थीं। उसी वक्त से लगने लगा था कि मायावती उन्हें अपने उत्तराधिकारी के तौर पर आगे करेंगी। बसपा के लोगों का कहना है कि आकाश आनंद लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनने के बाद से वह ऐसे फैसले ले रहे थे, जिससे सतीश चंद्र मिश्र असहज हो रहे थे। उनके फैसलों की वजह सतीश चंद्र मिश्र के बेटे पार्टी से पूरी तरह अलग हो गए थे। इसके बाद सतीश चंद्र मिश्र ने मायावती से मुलाकात करके पार्टी से अलग होने की बात कही थी। इसके बाद ही मायावती ने यह फैसला लिया। 

अवधेश कुमार: मायावती ने 2012 में घोषणा की थी कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य बसपा में कोई पद नहीं लेगा। बाद में उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। आकाश आनंद ने सीतापुर में जो रैली की, उसकी वजह से उन पर एफआईआर हो गई। मायावती का यह एक तात्कालिक कदम है। आकाश आनंद को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा, यह मैं नहीं मानता हूं। मायावती के इस कदम को मैं बहुत बड़ा कदम नहीं मानता हूं। इस चुनाव में भले आकाश आनंद की भूमिका नहीं होगी, लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका हो सकती है। इसके अलावा उनके भाई तो सारी जिम्मेदारियां निभा ही रहे हैं। जिस विचारधारा के आधार पर कांशीराम ने पार्टी को खड़ा किया था, उसे मायावती ने विस्तार नहीं दिया। समय के साथ उसमें परिवर्तन नहीं किया। इस वजह से उस पार्टी का भविष्य नहीं है। 

पूर्णिमा त्रिपाठी: आकाश आनंद को हटाने का वक्त देखना होगा। हटाया क्यों गया, यह भी देखना होगा? हटाए जाने से पहले आकाश आनंद किस पर हमला कर रहे थे? आकाश आनंद को हटाकर मायावती ने एक संकेत दे दिया है। इससे लगता है कि चुनाव के बाद अगर कोई स्थिति बनती है तो मायावती भाजपा समर्थक खेमे में दिखाई दे सकती हैं।

विनोद अग्निहोत्री: मुझे लगता है यह बड़ी घटना है। भारतीय राजनीति के जो तमाम आयाम हैं, उनमें दलित राजनीति भी एक बड़ा आयाम है। उस स्थिति में यह एक बड़ी घटना है। कांशीराम के नेपथ्य में जाने के बाद दलित आंदोलन नहीं रहा। इससे पहले यह न सिर्फ दलित आंदोलन था, बल्कि एक राजनीतिक पार्टी भी थी।

 

मायावती वह स्थिति नहीं चाहतीं कि आकाश आनंद शक्तिशाली हो जाएं। जब तक वो सक्रिय हैं, तब तक वो सत्ता के सारे सूत्र अपने पास रखना चाहती हैं। आकाश आनंद चंद्रशेखर और मायावती के समानांतर एक बड़ी लकीर खींचना चाहते थे। यह बात मायावती को सहज रूप से अच्छी नहीं लगी होगी। चुनाव के बाद मायावती क्या करेंगी, यह इस पर निर्भर करेगा कि उनके कितने उम्मीदवार जीतकर आते हैं। मुझे लगता है कि अभी मायावती चाहती हैं कि वट वृक्ष की छाया में ही पौधा रहे।





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