Artists Association; FWICE President Election, Membership Process (Film Industry Worker Union) | एशिया की सबसे बड़ी फिल्म फेडरेशन, इसमें 34 एसोसिएशन: ये चाहे तो इंडस्ट्री ठप कर दे; इसके कहने पर सलमान-अमिताभ ने दिए करोड़ों रुपए


मुंबई1 दिन पहलेलेखक: आशीष तिवारी और अभिनव त्रिपाठी

  • कॉपी लिंक
फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई (FWICE) एशिया की सबसे बड़ी फिल्म फेडरेशन है। इस फेडरेशन के अंडर 34 एसोसिएशंस आते हैं। रील टु रियल के नए एपिसोड में हम FWICE औऱ इससे जुड़े कुछ चुनिंदा एसोसिएशंस के बारे में जानेंगे। - Dainik Bhaskar

फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई (FWICE) एशिया की सबसे बड़ी फिल्म फेडरेशन है। इस फेडरेशन के अंडर 34 एसोसिएशंस आते हैं। रील टु रियल के नए एपिसोड में हम FWICE औऱ इससे जुड़े कुछ चुनिंदा एसोसिएशंस के बारे में जानेंगे।

एक छोटी सी फिल्म या शो बनाने में कई लोगों की मेहनत लगती है। इसमें प्रोड्यूसर-डायरेक्टर, आर्टिस्ट के अलावा कैमरामैन, टेक्नीशियंस, स्पॉटबॉय और क्रू मेंबर्स का भी बड़ा रोल होता है। ये सारे लोग किसी न किसी एसोसिएशन से जुड़े होते हैं। ये एसोसिएशंस इन सारे लोगों के हितों का ध्यान रखती हैं।

ऐसे कुल 34 एसोसिएशन हैं, जिन्हें फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई (FWICE) मैनेज करती है। यह एशिया की सबसे बड़ी फिल्म फेडरेशन है। इससे 4 से 5 लाख मेंबर्स जुड़े हुए हैं। यह फेडरेशन एक्टर्स, डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स और जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन सहित 34 एसोसिएशन की मदर बॉडी है।

कोविड के वक्त फेडरेशन के कहने पर सलमान खान ने 14 करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद की थी। अमिताभ बच्चन ने लाखों कूपन बांटे थे, एक कूपन की वैल्यू 1500 रुपए थी।

आज रील टु रियल के नए एपिसोड में हम जानेंगे कि FWICE और इससे जुड़ी एसोसिएशंस काम कैसे करती हैं। इनका मेंबर कैसे बना जा सकता है। मेंबर बनने से फायदे क्या होते हैं। इनकी मांगें क्या-क्या हैं?

इसके लिए हमने FWICE के प्रेसिडेंट बीएन तिवारी, इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IMPPA) के प्रेसिडेंट अभय सिन्हा, सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (CINTAA) की प्रेसिडेंट पूनम ढिल्लन, इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (IFTDA) के प्रेसिडेंट अशोक पंडित और जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन के एक्स वाइस प्रेसिडेंट फिरोज खान से बात की है।

4 से 5 लाख मेंबर्स इस फेडरेशन से जुड़े, अगर काम रोक दें तो फिल्में बननी बंद हो जाएंगी
FWICE के प्रेसिडेंट बीएन तिवारी के मुताबिक, 1956 में ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉई’ की शुरुआत की गई। 1958 में इसका रजिस्ट्रेशन हुआ। उस वक्त तक बहुत सारी एसोसिएशन हो गई थीं। इन सभी को कंट्रोल करने के लिए एक मदर बॉडी की जरूरत थी। इसी को ध्यान में रखकर FWICE का गठन हुआ। आज इसके अंडर 34 एसोसिएशन हैं। कुल मिलाकर 4 से 5 लाख मेंबर्स इस फेडरेशन से जुड़े हैं।

आज की डेट में फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे 90% लोग इन 34 एसोसिएशन के साथ जुड़े हुए हैं। अगर ये एसोसिएशन अपने मेंबर्स को काम करने से रोक दें तो अगले दिन से फिल्में बननी बंद हो जाएंगी।

कोविड के वक्त सलमान, अमिताभ बच्चन और यशराज फिल्म्स ने मेंबर्स की दिल खोलकर मदद की
बीएन तिवारी ने कहा कि उन्हें आज तक सरकार की तरफ से एक पैसे का लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘मैंने कोविड के वक्त महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेटर लिखा था, लेकिन वहां से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।

इसके अलावा एक पत्र दिल्ली भी भेजा था। वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। फिर मैंने सोचा कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री में ही इतने धनाढ्य लोग हैं, क्यों न उन्हीं से मदद मांगी जाए। तब मैंने सेलिब्रिटीज से हेल्प मांगनी शुरू की। खुशी की बात है कि उन्होंने दिल खोलकर हमारी मदद की।’

फेडरेशन की कार्रवाई के चलते प्रोड्यूसर फिरोज नाडियाडवाला को लौटाने पड़े 3 करोड़
FWICE की कार्रवाई के चलते डायरेक्टर फिरोज नाडियाडवाला को पैसे लौटाने पड़े थे। बीएन तिवारी ने बताया कि 8 साल पहले फिरोज की एक फिल्म रिलीज हुई थी। फिल्म के बाद उन्होंने डायरेक्टर अनीस बज्मी सहित कई टेक्निकल और क्रू मेंबर्स को उनकी फीस नहीं दी। यह रकम तकरीबन 2.5 से 3 करोड़ थी। जब फिरोज ने अपनी नई फिल्म शुरू की तो फेडरेशन ने वो पैसे वसूल लिए।

वेलकम और हेरा फेरी सीरीज की सारी फिल्मों का प्रोडक्शन फिरोज नाडियाडवाला (बाएं) ने ही किया है। अनीस बज्मी (दाएं) ने वेलकम, रेडी और भूल भुलैया-2 का डायरेक्शन किया है।

वेलकम और हेरा फेरी सीरीज की सारी फिल्मों का प्रोडक्शन फिरोज नाडियाडवाला (बाएं) ने ही किया है। अनीस बज्मी (दाएं) ने वेलकम, रेडी और भूल भुलैया-2 का डायरेक्शन किया है।

फेडरेशन ने मेंबर्स से कहा- फिरोज नाडियाडवाला जब तक पैसे न दें, उनके साथ काम न करें
बीएन तिवारी ने कहा, ‘फिरोज नाडियाडवाला की फिल्म वेलकम टु जंगल की फिल्मिंग से पहले हमने इसमें काम करने वाले सभी आर्टिस्ट और टेक्नीशियंस को एक लेटर लिखा। हमने लिखा कि आप तब तक फिरोज के साथ काम नहीं करेंगे जब तक कि वो अपना पुराना हिसाब न चुकता कर दें। वेलकम टु जंगल के लिए जो प्रोडक्शन कंपनी फिरोज को सपोर्ट कर रही थी, उसने भी कहा कि पहले फेडरेशन से NOC लेकर आइए। आखिरकार फिरोज नाडियाडवाला को वो पैसे देने पड़े। इसके बाद हमने मेंबर्स को शूटिंग की इजाजत दे दी।’

कुछ लोग इंडस्ट्री के होकर भी इंडस्ट्री के लिए काम नहीं करते
बीएन तिवारी को उन लोगों से नाराजगी है, जो इंडस्ट्री के होकर भी इंडस्ट्री के लिए काम नहीं करते। बीएन तिवारी ने कहा कि कई एक्टर्स-एक्ट्रेस विधायक और सांसद बन जाते हैं, लेकिन कभी हमारे एसोसिएशन की भलाई के लिए काम नहीं करते। वे भूल जाते हैं कि आज वे जिस स्थिति में हैं, उसके पीछे कहीं न कहीं एसोसिएशन का बहुत बड़ा रोल है।

वर्कर्स बिना छुट्टी लिए महीनों काम करते हैं, फेडरेशन इसके लिए मानवाधिकार आयोग तक भी पहुंची
हर इंडस्ट्री में चार छुट्टियां अनिवार्य रूप से मिलती ही हैं, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा नहीं होता। अगर शूटिंग हो रही है तो वर्कर्स को बिना छुट्टी लिए महीनों काम करना पड़ता है। उन्हें पता ही नहीं होता कि छुट्टी कब मिलेगी।

इसके अलावा हर जगह 8 घंटे की जॉब होती है, लेकिन यहां 12 घंटे काम कराया जाता है। कभी-कभी तो 12 घंटे से भी ज्यादा हो जाता है। बीएन तिवारी इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग के पास भी जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।

टीवी इंडस्ट्री में 90 दिनों बाद पेमेंट मिलना गलत, इसे लेकर प्रोड्यूसर्स से होती है बहस
टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाले आर्टिस्ट, डायरेक्टर, क्रिएटिव डायरेक्टर, क्रू मेंबर्स, टेक्नीशियन और शो से जुड़े सारे मेंबर्स को तीन महीने बाद पेमेंट मिलती है। शुरुआती तीन महीने तक वो बिना पैसे के काम करते हैं। इसे लेकर भी बीएन तिवारी को गंभीर आपत्ति है।

उन्होंने कहा, ‘इसे लेकर मेरी प्रोड्यूसर्स से कई बार बहस हो चुकी है। मैं उनसे कहता हूं कि अगर आप प्रोड्यूसर हैं तो एडवांस में इतना तो पैसा रखकर चलिए कि वर्कर्स को उनका मेहनताना मिलता रहे। जो आर्टिस्ट हैं, वो तो कैसे भी करके मैनेज कर लेते हैं, लेकिन सेट पर काम करने वाले अन्य वर्कर्स के लिए तीन महीने का वक्त काफी लंबा होता है।’

सारे एसोसिएशंस को एक संविधान मानना जरूरी
FWICE का एक संविधान है, इस संविधान को मानने के लिए सारे 34 एसोसिएशन और इसके मेंबर्स बाध्य हैं। अगर कोई एसोसिएशन FWICE के खिलाफ जाती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा अगर कोई मेंबर अपने एसोसिएशन के खिलाफ किसी कार्य में लिप्त पाया गया तो FWICE उसे नॉन मेंबर घोषित कर सकती है।

FWICE के प्रेसिडेंट का चुनाव कैसे होता है?
हर एसोसिएशन से तीन आदमी जनरल काउंसिल के लिए चुने जाते हैं। उन तीनों में से एक आदमी को वोट देने का अधिकार होता है। मतलब हर एसोसिएशन से एक वोट मान्य होता है। अब मान लीजिए, 34 एसोसिएशन हैं तो हिसाब से 34 लोग मिलकर FWICE के प्रेसिडेंट को चुनते हैं। अभी 13 मई को FWICE के प्रेसिडेंट का इलेक्शन होना है।

अब बात करते हैं प्रोड्यूसर्स एसोसिशन की। इसे इम्पा (इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन) कहते हैं। प्रोड्यूसर्स मतलब जो फिल्म बनाते हैं या उसमें पैसे लगाते हैं। प्रोड्यूसर्स की भी कुछ समस्याएं होती हैं। वो अपनी समस्याएं लेकर इम्पा के पास जाते हैं।

एक्टर आनाकानी करे तो प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन उस पर बैन लगा सकती है
इसके प्रेसिडेंट अभय सिन्हा ने कहा, ‘अगर कोई प्रोड्यूसर किसी एक्टर से परेशान है। अगर वो एक्टर समय पर फिल्म कम्प्लीट नहीं कर रहा है, तो हमारी एसोसिएशन उस एक्टर को लेटर जारी करती है। लेटर से भी नहीं मानता तो एसोसिएशन उस एक्टर पर बैन लगा देती है। इस दशा में एडवाइजरी जारी होती है कि कोई भी प्रोड्यूसर उस एक्टर के साथ बैन हटने तक काम नहीं करेगा। इसके अलावा हम सुनिश्चित करते हैं कि वो एक्टर भारत के किसी भी कोने में शूटिंग न कर पाए।’

अब बात जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन की, लेकिन इससे पहले यह समझिए कि जूनियर आर्टिस्ट होते कौन हैं?
फिल्मों में एक्टर के बैकग्राउंड में दिखने वाले, दुकान चलाने वाले, टैक्सी ड्राइवर और सब्जी बेचने वालों के किरदार में दिखने वाले लोग जूनियर आर्टिस्ट कहलाते हैं। मुमताज, जीतेंद्र और गुलशन ग्रोवर जैसे एक्टर्स एक वक्त पर जूनियर आर्टिस्ट ही हुआ करते थे।

जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन का मेंबर बनने के लिए 10,600 रुपए फीस
जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन का मेंबर बनने के लिए 10,600 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। एक बार मेंबर बनने के बाद एसोसिएशन इन्हें काम मिलने के हिसाब से बुलाती है। प्रोड्यूसर्स की तरफ से एसोसिएशन को मैसेज आएगा कि उन्हें कल के शूट के लिए चार सिपाहियों (रोल के लिए) की जरूरत है। अब एसोसिएशन चेक करेगा कि इस रोल के लिए फिट कौन बैठ रहा है। इसके बाद सिलेक्टेड लोगों को शूट के लिए भेजा जाएगा।

दो कैटेगरी में बंटे होते हैं जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन के मेंबर्स
जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन के मेंबर्स को दो कैटेगरी में बांटा जाता है। पहला डीसेंट क्लास और दूसरा बी क्लास। डीसेंट क्लास में वे लोग होते हैं, जिन्हें बड़े स्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर करना होता है। मान लीजिए, सलमान खान किसी फिल्म में पुलिस ऑफिसर बने हैं, तो उनके साथ जो सिपाही के रोल में होंगे वो डीसेंट क्लास से लिए जाते हैं।

वहीं किसी फिल्म में बहुत बड़ी भीड़ दिखानी है, उस भीड़ में से एकाध चेहरे जो स्क्रीन पर दिख जाते हैं, वो बी-क्लास वाले जूनियर आर्टिस्ट होते हैं। जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन के एक्स वाइस प्रेसिडेंट रहे फिरोज खान उर्फ राजा के मुताबिक, अगर किसी की बेटी की शादी है, तो एसोसिएशन उसे 20 हजार रुपए की आर्थिक मदद करती है।

सिंटा- सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन
किसी शख्स को सिंटा का मेंबर बनने के लिए तीन फिल्म या तीन सीरियल में काम करना जरूरी है। वो अपने काम की सीडी या पेन ड्राइव सिंटा की एक कमेटी को देते हैं, फिर कमेटी उनका इंटरव्यू लेती है। सिलेक्ट होने के बाद उन्हें मेंबरशिप मिलती है। मेंबरशिप के लिए 35 हजार रुपए भरने पड़ते हैं। इन पैसों को तीन किश्तों में भरा जा सकता है।

आज इंडस्ट्री में जितने छोटे-बड़े आर्टिस्ट हैं, उन्होंने कभी न कभी सिंटा की सदस्यता जरूर ली होगी। अगर वे इसके सदस्य नहीं हैं और भविष्य में उनके साथ कुछ गलत होता है तो इसके लिए सिंटा कभी खड़ी नहीं रहेगी। वहीं अगर आप इसके मेंबर हैं और आपके साथ कुछ अनुचित हो रहा है तो एसोसिएशन से इसकी शिकायत कर सकते हैं। एसोसिएशन उस आर्टिस्ट के सपोर्ट में खड़ी रहेगी।

इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन
इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक पंडित ने बताया कि डायरेक्टर बनने के लिए एसोसिएशन का मेंबर कैसे बना जा सकता है। अशोक पंडित के मुताबिक, डायरेक्टर बनने की तैयारी 12वीं से ही शुरू कर देनी चाहिए। फिर FTII जैसे संस्थान से डायरेक्शन का कोर्स करना भी यूजफुल होता है। खुद को एक बार पूरी तरह से एजुकेट करने के बाद ही किसी भी शख्स को डायरेक्शन की फील्ड में उतरना चाहिए।

  • आमतौर पर कोई भी व्यक्ति बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम शुरू करता है। इसके लिए उसे डायरेक्टर्स एसोसिएशन का मेंबर बनना जरूरी है। बिना मेंबर बने काम नहीं किया जा सकता।
  • जब कोई शख्स एसोसिएशन का मेंबर बनता है, तो उसकी पूरी तहकीकात की जाती है। इससे उस शख्स के बैकग्राउंड के बारे में भी पता चल जाता है, जैसे कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है।
  • एसोसिएशन का हिस्सा बनने का फायदा यह है कि मेंबर्स को मेडिक्लेम और PF जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं। प्रोड्यूसर्स भी उन्हीं लोगों के साथ काम करते हैं, जो एसोसिएशन के मेंबर होते हैं। जो डायरेक्टर्स एसोसिएशन का हिस्सा नहीं होते, प्रोड्यूसर्स उनके साथ काम नहीं करते।
  • अगर कोई डायरेक्शन की फील्ड में एकदम नया है और उसके पास एक्सपीरिएंस नहीं है, तो पहले कुछ महीने एसोसिएशन की तरफ से वर्क परमिट मिलता है। फिर 2-3 महीने में काम के आधार पर एसोसिएशन का कार्ड मिल जाता है।

अशोक पंडित ने बताया कि मौजूदा समय में इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (IFTDA) में लगभग 11 हजार मेंबर्स हैं। जिसमें डायरेक्टर्स और असिस्टेंट डायरेक्टर्स दोनों शामिल हैं।

इनपुट- वीरेंद्र मिश्र

खबरें और भी हैं…


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *