चिकित्सा उपकरणों की खामियों का पता मरीजों से लगाया जाएगा। मरीजों की सुरक्षा का हवाला देते हुए सरकार ने चिकित्सा उपकरणों की वजह से प्रतिकूल प्रभावों का हिसाब मांगा है।
देश के ड्रग कंट्रोलर ने सभी राज्य के औषधि विभागों को दिए आदेश में कहा है कि प्रत्येक लाइसेंस धारक कंपनी को इन नियमों का पालन करना होगा और उपकरणों की वजह से मरीजों को होने वाली परेशानियों के बारे में समय पर सरकार को जानकारी देनी होगी।
आदेश के मुताबिक, चिकित्सा उपकरण नियम 2017 और दवा एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1940 के तहत सभी चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन और बिक्री की अनुमति दी जाती है। हालांकि, इन उपकरणों का पोस्ट मार्केट सर्विलांस (पीएमएस) होना जरूरी है, जिससे सुरक्षा और प्रभावशीलता की निगरानी हो सके। ड्रग कंट्रोलर डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा कि ऐसी घटनाओं की निगरानी के लिए सरकार ने मैटेरियोविजिलेंस प्रोग्राम (एमवीपीआई) लॉन्च किया है।
केवल तीन से पांच फीसदी प्रतिकूल घटनाओं की मिलती है सूचना
दरअसल, जब चिकित्सा उपकरणों का परीक्षण किया जाता है तो नमूना आकार छोटा होता है और वास्तविक दुनिया के दीर्घकालिक उपयोग की तुलना में अवधि कम होती है। इसलिए अनुमति से पहले सभी मुद्दों की पहचान नहीं हो पाती। बाजार में आने के बाद की निगरानी पहले से अज्ञात प्रतिकूल घटनाओं को सक्रिय रूप से पकड़ना आसान होता है। इसके बारे में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पोस्ट मार्केट सर्विलांस चिकित्सा उपकरणों का मरीजों के लिए सुरक्षित और प्रभावी होने के बारे में बताता है। हालांकि, चिकित्सा उपकरणों से संबंधित केवल तीन से पांच फीसदी प्रतिकूल घटनाओं की सूचना प्राप्त हो रही है जो सीधे तौर पर मरीजों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
डॉक्टर, मरीज, नर्स तकनीशियन भी कर सकते हैं शिकायत
सीडीएससीओ के अधिकारियों के मुताबिक, सरकार का एमवीपीआई सिर्फ निजी कंपनियों के लिए नहीं है। इस वेबसाइट पर जाकर कोई भी डॉक्टर या मरीज शिकायत कर सकता है। इनके अलावा अस्पताल में कार्यरत नर्स, फार्मासिस्ट और तकनीशियन भी संदिग्ध उपकरण के बारे में सीधे टोल फ्री नंबर 18001803024 पर कॉल करके भी जानकारी दे सकते हैं।
मजबूत सिस्टम स्थापित करें कंपनियों
भारत में चिकित्सा उपकरणों की खराबी से जुड़ी कई बड़ी घटनाएं सामने आई हैं। इनक्यूबेटर में शॉर्ट सर्किट या कूल्हा प्रत्यारोपण में इस्तेमाल घटिया गुणवत्ता वाले इम्प्लांट की वजह से काफी मरीजों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए। ड्रग कंट्रोलर ने आदेश में कहा है कि सभी चिकित्सा उपकरण लाइसेंस धारक मजबूत सिस्टम स्थापित करें और प्रतिकूल घटनाओं की समय पर पहचान, उनका दस्तावेजीकरण और रिपोर्टिंग पर काम करें।