CBSE Board Result, CBSE Toper, High School, Higher Secondary | CBSE 10वीं, 12वीं के टॉप स्‍कोरर्स के टिप्‍स: पहले टफ चैप्टर्स को किया कंप्लीट; कोचिंग के बजाय सेल्फ स्टडी पर फोकस किया


3 घंटे पहले

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सोमवार 12 मई को CBSE ने 10वीं-12वीं बोर्ड का रिजल्ट जारी कर दिया है। बोर्ड ने कोई मेरिट लिस्ट जारी नहीं की है और ना ही किसी टॉपर का नाम अनाउंस किया है। बोर्ड की ये पहल अनहेल्दी कॉम्पिटिशन को खत्म करने के लिए है।

दैनिक भास्कर ने CBSE बोर्ड एग्जाम देने वाले कुछ ऐसे स्टूडेंट्स से बात की, जिन्होंने सभी सब्जेक्ट्स में अच्छा स्कोर किया है। स्टूडेंट्स ने किस तरह खुद को मोटिवेट किया और कॉम्पिटिशन में खुद को पूरी तरह तैयार रखा।

इनका, मोटिवेशन और एक्सपीरियंस स्टूडेंट्स को प्रेरित कर सकता है।

यामिनी यादव ने दसवीं में किया टॉप

यामिनी, रेयान इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल भोपाल की स्टूडेंट हैं। CBSE 10वीं में इनका 97% स्कोर रहा है। उनके संस्कृत में 99 मार्क्स आए हैं। मैथ्स में 98 मार्क्स हैं। साइंस में 94, इंग्लिश में 95 और एसएसटी में 95 मार्क्स आए हैं।यामिनी ने बताए अपने सक्सेस टिप्स

मैं शुरुआत से यानी KG-1 से इस स्कूल में पढ़ रही हूं। मेरे पेरेंट्स ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है। स्कूल से मुझे हमेशा सही गाइडेंस मिला है।

मैंने स्कूल स्टडी पर ही भरोसा किया है और किसी भी तरह के कोचिंग इंस्टीट्यूट को जॉइन नहीं किया था। मैं स्कूल के नोट्स के अलावा सेल्फ स्टडी करती थी।

टाइम टेबल हमेशा काम आता है

मेरा वैसा कोई फिक्स रूटीन नहीं था। लेकिन मैंने एग्जाम के लिए टाइम टेबल बनाया था। एग्जाम के लिए टाइम टेबल फॉलो करना फायदेमंद होता है।

मैं नॉर्मल स्कूल टाइमिंग के बाद 3 से 6 बजे तक यानी सिर्फ डेली तीन-चार घंटे पढ़ती थी।

कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं होने पर यूटयूब देखा

स्कूल के नोट्स और स्टडी हमेशा ही मेरे काम आई है। लेकिन कभी-कभी जब कोई इक्वेशन या कॉन्सेप्ट समझ नहीं आया, तब मैं उसे यूटयूब पर देखती थी। मैं कभी-कभी मैग्नेट ब्रेन ब चैनल से पढ़ा है।

कंसिस्टेंसी बेहद जरूरी

स्कूल के नोट्स से ही मैंने एग्जाम की पूरी तैयारी की है। मुझे लगता है पढ़ने के लिए कंसिस्टेंसी बेहद जरूरी है और मैंने शुरुआत से ही उसे बनाए रखा है, जिससे मुझे किसी भी सब्जेक्ट में कोई भी परेशानी नहीं आई।

संस्कृत, मैथ्स में हाईएस्ट स्कोर

संस्कृत और मैथ्स में मेरा हाईएस्ट स्कोर रहा है। मुझे लगता है दोनों ही सब्जेक्ट ऐसे है कि अगर आप समझ लें तो आप फुल मार्क्स स्कोर कर सकते हैं।

टीचर्स और पेरेंट्स का पूरा सपोर्ट मिला। जिसकी वजह से मैं अच्छा स्कोर कर पाई हूं।

11वीं में पीसीएस लूंगी और नीट की तैयारी करूंगी। आगे जाकर में डॉक्टर बनाना चाहती हूं। मेरा सपना एम्स में पढ़ने का है।

आशु ने पढ़ाई के लिए कोई टाइम टेबल कभी फॉलो नहीं किया। उन्होंने रोज अपने सिलेबस को रिवाइज किया है।

आशु ने पढ़ाई के लिए कोई टाइम टेबल कभी फॉलो नहीं किया। उन्होंने रोज अपने सिलेबस को रिवाइज किया है।

आशु देवनाथ ने 12वीं में हाईएस्ट स्कोर

आशु देवनाथ का साइंस स्ट्रीम में 96% स्कोर है। आशु रेयान इंटरनेशनल स्कूल भोपाल के स्टूडेंट हैं।

मैथ्स में उनके 99 मार्क्स आए हैं। फिजिक्स में 95, इंग्लिश में 90, कंप्यूटर में 97 और केमिस्ट्री में 98 मार्क्स आए हैं।

आइए जानते हैं आशु ने कैसे की तैयारी

मेरे स्कूल में सिलेबस पहले ही पूरा करवा दिया था। इसे बस हमें रिवाइज्ड करना था। इसकी वजह से मुझे पढ़ने में आसानी हो गई।

मैंने आसान चैप्टर्स को बाद में पढ़ा। पहले टफ सिलेबस को कंप्लीट किया।

नोट्स बनाए तैयारी की

मैंने नोट्स बनाकर पढ़ाई की थी। इस वजह से मुझे किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। मैंने रूटीन बनाकर एग्जाम की तैयारी की। लेकिन कोई फिक्स टाइम नहीं था। मैंने स्कूल में बनाए गए नोट्स से ही रिवीजन किया है।

न्फ्यूजन हुआ तो ऑनलाइन लेक्चर देखे

स्कूल में जो भी पढ़ाया जाता है, उसे मैंने पूरी तरह से पढ़ा है लेकिन कभी-कभी किसी चैप्टर में कन्फ्यूजन हुआ तो मैंने ऑनलाइन क्लासेस की मदद ली। हालांकि उसके लिए मैंने किसी एक प्लेटफॉर्म को कभी नहीं चुना है। मुझे जिस चैनल पर लगा की मैं समझ सकता हूं मैंने उसी चैनल से पढ़ाई की है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता हूं

मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता हूं। मैं ऐसा तो नहीं सोचता कि मैं आईआईटी ही जाऊं। अभी तय नहीं आईआईटी से पढ़ना है या नहीं।

इसके साथ ही हमने स्कूल प्रिंसिपल से भी बात की।

स्टूडेंट्स की साल भर की मेहनत का असर

प्रिंसिपल ने कहा स्कूल टीचर्स, मैनेजमेंट टीम की ओर से सभी टॉपर्स को बधाई। स्टूडेंट्स ने अपने फाइनल एग्जाम में अच्छे मार्क्स प्राप्त करके खुद को, अपने स्कूल को, अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया है। यह उनकी साल भर की मेहनत का नतीजा है। मैं इस अवसर पर टीचर्स को धन्यवाद देना चाहूंगी। टीचर्स ही हैं जो स्टूडेंट्स​​​​​​ पर शुरू से मेहनत करते हैं।

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