इसरो द्वारा सौर तूफान का अध्ययन
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बीते शुक्रवार को दो दशक बाद सबसे शक्तिशाली सौर तूफान पृथ्वी से टकरा गया था। इस वजह से दुनिया के कई देशों में ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा) जैसा नजारा देखने को मिला। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का कहना है कि मई की शुरुआत में एक ताकतवर सौर तूफान ने पृथ्वी पर असर डाला है। बताया गया है कि यह तूफान सूर्य के सबसे सक्रिय क्षेत्र में विस्फोटों के कारण उत्पन्न हुआ। इस वजह से पृथ्वी पर कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की शुरुआत हुई है।
पृथ्वी पर आया भू-चुंबकीय तूफान- इसरो
इसरो का कहना है कि सूर्य में उठे तूफान की वजह से पृथ्वी पर भू-चुंबकीय तूफान आया। इस तूफान तीव्रता 2003 के बाद से सबसे अधिक दर्ज की गई। इस वजह से संचार और जीपीएस सिस्टम में बाधा उत्पन्न हुई। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि ताकत के मामले में यह तूफान 2003 के बाद सबसे बड़ा भू-चुंबकीय तूफान है। आगे कहा गया है कि सूर्य के जिस क्षेत्र में सौर तूफान आया, वह 1859 में हुई कैरिंगटन घटना जितना बड़ा था।
बता दें कि 2 सितंबर 1859 को लंदन के रेड हिल शहर में रिचर्ड क्रिस्टोफर कैरिंगटन सूर्य पर मौजूद काले धब्बों का अध्ययन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सूर्य पर एक भयानक विस्फोट को देखा था। इसका असर पृथ्वी के ध्रुवीय इलाकों पर देखा गया था।