15 घंटे पहले
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नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन फॉर मेडिकल साइंसेज (NBEMS) ने NEET-PG एग्जाम के पैटर्न में बदलाव किया है। इस साल 23 जून को ऑनलाइन मोड में NEET-PG एग्जाम होना है। एग्जाम में 200 MCQ टाइप सवाल पूछे जाते हैं।
अब हर सवाल को सॉल्व करने के लिए कुछ मिनटों का फिक्स टाइम ही मिलेगा। इसका मतलब ये है कि किसी सवाल को सॉल्व करने के लिए कोई कैंडिडेट कितना समय दे सकता है ये पहले से ऑटोमैटिक मोड पर सेट होगा। 2024 से ही नए पैटर्न पर एग्जाम होगा
मास्टर ऑफ सर्जरी, मेडिसिन में एडमिशन लेने के लिए जरूरी है NEET क्वालिफाई करना
इस एग्जाम के जरिए MBBS स्टूडेंट्स देश के टॉप मेडिकल कॉलेजों में मास्टर ऑफ सर्जरी (MS) और MD (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं। NEET-PG एग्जाम में हर सही जवाब के लिए 4 मार्क्स मिलते हैं और गलत जवाब के लिए 1 मार्क की नेगेटिव मार्किंग होती है। टोटल 3.5 घंटे में क्वेश्चन पेपर सॉल्व करना होता है।
NBEMS का कहना है कि ऑनलाइन मोड में होने वाले एग्जाम में पेपर लीक, चीटिंग और डार्क वेब के जरिए हैकिंग जैसे साइबर क्राइम की गुंजाइश को कम करने के लिए ये कदम उठाया गया है।
मेडिकल के सभी ऑनलाइन एग्जाम में यही पैटर्न होगा
NBEMS ने कहा है कि अब मेडिकल के सभी MCQ टाइप पैटर्न में होने वाले एग्जाम जैसे – NEET-PG, NEET-MDS, NEET-SS, FMGE, DNB-PDCET, GPAT, DPEE, FDST और FET में भी सवालों को सॉल्व करने के लिए फिक्स्ड टाइम पहले से सेट होगा।
कोई साइबर फ्रॉड न हो, इसलिए लगातार अपग्रेड होता है सिस्टम : NBEMS डायरेक्टर
NBEMS की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने एजुकेशन टाइम्स से बात करते हुए कहा कि हर साल 2 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स NEET PG का एग्जाम देते हैं। ऑनलाइन मोड में होने वाले एग्जाम में ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि एग्जाम में कोई साइबर फ्रॉड न हो। हम लगातार एग्जाम कंडक्टिंग एजेंसी के कांटेक्ट में रहते हैं ताकि अपने सिस्टम को अपग्रेड करते रहें।
एग्जाम से एक महीने पहले पैटर्न बदलने का हुआ विरोध
इस साल NEET-PG 23 जून को होना है। एग्जाम में लगभग एक महीने का समय बाकी है। लास्ट मिनट पर एग्जाम के पैटर्न में बदलाव की वजह से मेडिकल एसोसिएशन NBEMS के इस फैसले का विरोध कर रही हैं। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के प्रेसिडेंट डॉक्टर अविरल माथुर का कहना है कि पिछले 10 सालों से लगातार बदलाव करता आ रहा है। लेकिन, एग्जाम के ठीक 50 दिनों पहले फॉर्मेट में बड़े बदलाव करने से कैंडिडेट्स को परेशानी होगी।