JEE Main Session 2 Topper Aditya and Shahswat Jain Exam Topper Tips and Tricks | टॉपर्स मंत्रा- JEE Main टॉपर आदित्य के टिप्स: कहा- यूट्यूब से कन्फ्यूजन होता था, डायरेक्शन के लिए कोचिंग की


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2 घंटे पहलेलेखक: सृष्टि तिवारी

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मेरा नाम आदित्य राज कौशल है। मैंने JEE मेंस में 99.9 पर्सेंटाइल स्कोर किया है। मैं भोपाल- मप्र का रहने वाला हूं। मेरे माता-पिता दोनों ही एजुकेशनल बैकग्राउंड से हैं। मेरी मां असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। मेरे पिता इंजीनियरिंग फील्ड से हैं।

मेरे दोस्त JEE के बारे में बातें करते रहते थे, तो मुझे लगा कि मैं भी कर सकता हूं। मैंने 10th के बाद पहली बार कोचिंग जॉइन की थी।

मैथ्स अच्छी थी सोचा ट्राई कर लूं

शुरुआत में मुझे नहीं पता था कि करना क्या है। मेरी मैथ्स अच्छी थी तो मुझे लगा मैं JEE कर सकता हूं। मेरे टीचर्स और पेरेंट्स ने हमेशा मुझे गाइड किया है। उन्हीं की वजह से मैं ये कर पाया हूं। मेरा इंटरेस्ट कंप्यूटर साइंस में हैं। मैं इसी में इंजीनियरिंग करना चाहता हूं।

कोचिंग की वजह से सही डायरेक्शन मिला

मैंने कभी भी सेल्फ स्टडी नहीं की। मुझसे सेल्फ स्टडी नहीं हो पाती है। मैं पहले छह घंटे PUBG खेलता था, लेकिन मुझे कोचिंग की वजह से सही डायरेक्शन मिली।

मुझे जब भी टेंशन हुई या एग्जाम का प्रेशर लगा, मैं खेलने लगता हूं।

मुझे जब भी टेंशन हुई या एग्जाम का प्रेशर लगा, मैं खेलने लगता हूं।

यूट्यूब लॉन्ग टर्म में इफेक्टिव नहीं

यूट्यूब का यूज आप किस तरह से करते हैं, ये डिपेंड करता है कि आप कौन से कोर्स के लिए यूट्यूब से पढ़ना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यूट्यूब से 36 घंटे की क्लास यानी JEE के टॉपिक को कवर नहीं किया जा सकता। शॉर्ट टर्म के लिए भले ही ये काम आ जाए।

मैं अपने सब्जेक्ट में परफेक्ट हूं

मुझे ये समझने में परेशानी आई कि मैं इतनी आसानी से कैसे ये सब कर पा रहा हूं, हो सकता है आपको इस बात पर यकीन न हो, लेकिन मैंने सही तरह से तैयारी की है, इसीलिए मैं इतनी आसानी से ये सब कर पाया हूं।

इसके साथ मुझे जब भी टेंशन हुई या एग्जाम का प्रेशर लगा, मैं खेलने लगता हूं। मैं एक बहुत अच्छा बास्केटबॉल प्लेयर हूं और खेलना मेरे स्ट्रेस को हमेशा कम करता है।

हमने इसके साथ ही JEE मेंस टॉपर शाश्वत से भी बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने खुद को फोकस्ड रखा।

मेरा नाम शाश्वत जैन है। मैं भोपाल-मप्र का रहने वाला हूं, मेरी JEE मेंस में ऑल इंडिया रैंक 840 और भोपाल में थर्ड रैंक है। मेरे पापा इकोनॉमिस्ट हैं और मेरी मां एक लाइफ कोच हैं।

इंजीनियरिंग करूंगा, ये कभी सोचा नहीं

मैं इंजीनियरिंग करूंगा ऐसा कुछ मैंने कभी नहीं सोचा था। अभी भी मैं नहीं जानता कि मैं कौन-सी स्ट्रीम में जाऊंगा।

मैं 10वीं क्लास में था तब मैंने कोचिंग जॉइन करने का डिसीजन लिया था। कोविड-19 के समय जब स्कूल बंद थे, पढ़ाई नहीं हो रही थी, तब मैंने JEE के लिए कोचिंग में एडमिशन लिया था।

यूट्यूब लंबे समय के लिए इफेक्टिव नहीं

यूट्यूब से कभी-कभी मैंने कोई चैप्टर पढ़ा है। हालांकि यूट्यूब ज्यादा समय के लिए इफेक्टिव नहीं होता है। आप लंबे समय तक यूट्यूब पर भरोसा नहीं रख सकते। यूट्यूब का कंटेंट आपको कन्फ्यूज करता है। हालांकि छोटी-मोटी इन्फॉर्मेशन के लिए यूट्यूब काम आ सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म यानी 1-2 साल के लिए ये काम नहीं आता है।

शाश्वत के पिता कहते हैं कि उसके पास खाने का भी समय नहीं होता है। वो अक्सर पढ़ते-पढ़ते ही खाता है।

शाश्वत के पिता कहते हैं कि उसके पास खाने का भी समय नहीं होता है। वो अक्सर पढ़ते-पढ़ते ही खाता है।

मेंटल स्ट्रेस कम करने के लिए ठंडे पानी से नहाया

प्रिपरेशन के दौरान रोज ही परेशानी होती है, क्योंकि कभी-कभी तो आपका मन ही नहीं होता है पढ़ने का। मेंस में उतना प्रेशर नहीं था, लेकिन अब एडवांस में मेंटल स्ट्रेस ज्यादा है, क्योंकि कभी-कभी आपको समझ ही नहीं आता, क्या करना है?

मेंटल स्ट्रेस से निकलने के लिए मैं अपने पेरेंट्स और टीचर्स से बात करता हूं। इसके साथ ही मुझे लगता है ठंडे पानी से नहाना भी मेंटल स्ट्रेस को कम करता है। मुझे जब भी स्ट्रेस होता है, मैं ठंडे पानी से नहा लेता हूं।

सोशल मीडिया से दूरी

मैंने पिछले डेढ़ साल से सोशल मीडिया यूज नहीं किया है। मैं जब 11th में था तब मैंने सोशल मीडिया से दूरी बना ली थी। मुझे लगता है सोशल मीडिया से दूर रहना अच्छा होता है। इससे आप खुद को किसी और की लाइफ से कंपेयर नहीं करते हैं।

कब जॉइन की क्लासेस

सुबह 7 बजे से मेरी क्लासेस होती थीं। मैं सात से दो बजे तक क्लासेस अटेंड करता था और क्लासेस खत्म होने के बाद मैं कोचिंग इंस्टीट्यूट में रुककर ही पढ़ता था।

मैंने स्टडी के लिए अभी तक कोई फिक्स रूटीन फॉलो नहीं किया है। जब मन हुआ, तब पढ़ाई कर लेता हूं।

तैयारी में खुद को स्टेबल रखना टास्क

प्रिपरेशन के दौरान सबसे ज्यादा मुश्किल खुद को स्टेबल रखना होता है, क्योंकि जब टेस्ट में नंबर कम आते हैं, तो खुद पर डाउट होने लगता है। इससे निकलने के लिए मैंने हमेशा अपने पेरेंट्स से बात की और अपने दोस्तों से भी डिस्कस किया। मुझे टीचर्स ने हमेशा कहा कि टेस्ट रिजल्ट को हमें कोई डिसीजन नहीं बना लेना है। अगर टेस्ट में गलतियां हो रही हैं, तो उन्हें सही करते जाना है।

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