Boman Irani Interview Update; The Mehta Boys | Kolkata Ladies Study Group | फिल्में डायरेक्ट करना चाहते थे बोमन ईरानी: अब ‘द मेहता बॉयज’ के जरिए सपना पूरा हुआ; बचपन में मां कहती थीं- जाओ सिनेमा देखो


कोलकाता1 दिन पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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बोमन ईरानी पहली बार कोई फिल्म डायरेक्ट कर रहे हैं। इस फिल्म का नाम है- द मेहता बॉयज। बोमन ने इस फिल्म की राइटिंग, डायरेक्शन और प्रोडक्शन पर काम किया है। खास बात यह है कि बोमन के साथ इसे ऑस्कर विनर स्क्रीन राइटर एलेक्स डिनेलारिस ने भी को-राइट किया है।

बोमन ईरानी हाल ही में कोलकाता में हुए लेडीज स्टडी ग्रुप (LSG) के द्वारा आयोजित एक इवेंट में पहुंचे थे। उनके साथ डायरेक्टर राजकुमार हिरानी भी मौजूद थे। इस इवेंट को कोलकाता की मशहूर एंटरप्रेन्योर भावना अग्रवाल ने ऑर्गेनाइज किया था। उनके इस ऑर्गेनाइजेशन लेडिज स्टडी ग्रुप (LSG) के जरिए महिलाओं की शिक्षा और उत्थान पर काम किया जाता है।

बोमन ने यहां दैनिक भास्कर को इंटरव्यू दिया। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने भावना अग्रवाल के महिलाओं के सपोर्ट में किए जा रहे इस पहल की तारीफ की। बोमन ने इसके अलावा अपनी अपकमिंग फिल्म द मेहता बॉयज पर भी बात की।

कोलकाता में राजकुमार हिरानी के साथ समय बिताकर खुश हैं बोमन
बंगाल की धरती का कला और साहित्य से विशेष जुड़ाव रहा है। आप इसी बंगाल की राजधानी कोलकाता में राजकुमार हिरानी के साथ आए हैं। क्या कहेंगे? बोमन ने कहा, ‘राजू के साथ काफी दिनों से बात नहीं हो पाई थी।

मैं अपनी फिल्म द मेहता बॉयज में बिजी था, वहीं राजू डंकी की फिल्मिंग में व्यस्त थे। जब हमें साथ में कोलकाता आने का मौका मिला तो सोचा कि जो बातें इतने दिनों से रह गई हैं, उन पर चर्चा की जाए। मैंने दो-तीन दिन पहले उन्हें अपनी फिल्म मेहता बॉयज दिखाई, लेकिन इस पर बात करने का ज्यादा मौका नहीं मिल पाया। हमने सोचा कि कोलकाता चल कर एक दूसरे से खूब बातें करेंगे।’

बीते 29 अप्रैल को कोलकाता में लेडीज स्टडी ग्रुप (LSG) का क्लोजिंग इवेंट ऑर्गेनाइज हुआ। इस इवेंट को 'ऑल इज वेल' नाम दिया गया। यहां डायरेक्टर राजकुमार हिरानी और बोमन ईरानी को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था। इवेंट का संचालन भावना अग्रवाल (बीच में) ने किया था।

बीते 29 अप्रैल को कोलकाता में लेडीज स्टडी ग्रुप (LSG) का क्लोजिंग इवेंट ऑर्गेनाइज हुआ। इस इवेंट को ‘ऑल इज वेल’ नाम दिया गया। यहां डायरेक्टर राजकुमार हिरानी और बोमन ईरानी को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था। इवेंट का संचालन भावना अग्रवाल (बीच में) ने किया था।

बचपन से फिल्में डायरेक्ट करना चाहते हैं बोमन, अब सपना पूरा हुआ
बोमन हमेशा से डायरेक्शन में हाथ आजमाना चाह रहे थे। इंडस्ट्री में इतने साल काम करने के बाद उन्हें यह मौका मिला है। उन्होंने कहा, ‘मैंने जीवन भर एक्टिंग की है, लेकिन हमेशा से मन था कि कभी डायरेक्शन में भी हाथ आजमाऊं। द मेहता बॉयज के जरिए मेरा यह सपना पूरा हो रहा है।

मेरा मानना है कि जो व्यक्ति कई सालों से एक्टिंग कर रहा है, कोई जरूरी नहीं है कि उसे राइटिंग या डायरेक्शन का भी नॉलेज हो। इसके लिए सीखना पड़ता है। मेरा बचपन से फिल्म बनाने का सपना था, इसलिए मैंने कभी सीखना नहीं छो़ड़ा।

सौभाग्य से एलेक्स डिनेलारिस (ऑस्कर अवॉर्ड विनर स्क्रीन राइटर) से मुलाकात हुई। उनसे मैंने राइटिंग के गुण सीखे। जब मेरी और उनकी मुलाकात हुई तब तक उन्होंने ऑस्कर नहीं जीता था। जब वे ऑस्कर जीत गए तो लगा कि दोस्ती खत्म हो जाएगी, लेकिन इसके उलट हुआ। हमारी दोस्ती और प्रगाढ़ हुई। मेहता बॉयज की स्क्रिप्ट लिखने में उन्होंने मेरी खूब मदद की।’

फिल्म इसी साल रिलीज होगी।

फिल्म इसी साल रिलीज होगी।

राजकुमार हिरानी एक फिल्म बनाने में सालों लगाते हैं, इसके पीछे वजह है
बोमन ईरानी ने कहा कि फिल्म मेकर्स को स्क्रिप्ट पर काफी ध्यान देना चाहिए। ऐसा नहीं कि फिल्में हिट हो रही हैं तो कुछ भी बनाते जाएं। उन्होंने यहां राजकुमार हिरानी का उदाहरण दिया। बोमन ने कहा, ‘राजू को देखिए। वो एक फिल्म बनाने में दो-तीन साल लगाते हैं, जबकि उनकी सारी फिल्में हिट होती हैं। वो चाहते तो एक के बाद एक फिल्में बनाते जाते, लेकिन वो ऐसा नहीं करते क्योंकि स्क्रिप्ट में ज्यादा टाइम लेते हैं।’

मां कहती थीं- जाओ फिल्में देखकर आओ
बोमन ने कहा कि अगर किसी बच्चे के मार्क्स अच्छे नहीं आ रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे कुछ नहीं आता है। हो सकता है कि उसकी दिलचस्पी किसी और फील्ड में हो। बोमन ने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर का इंटरेस्ट क्रिकेट में था, अगर उनसे कुछ और काम कराया जाता तो शायद वो बेस्ट नहीं कर पाते।

मैं पढ़ाई में कभी अच्छा नहीं था, क्योंकि इसमें मेरा इंटरेस्ट नहीं था। हालांकि लिखने का शौक हमेशा से रहा है। मैं स्कूल में ड्रामा की स्क्रिप्ट लिखता था। मां ने भी मेरा भरपूर साथ दिया। वो मुझे फिल्में देखने के लिए प्रोत्साहित करती थीं। वो कहती थीं कि जाओ फिल्में देख कर आओ। वो जानती थीं कि मेरा मन सिनेमा में ज्यादा लगता है। आज अगर इस मुकाम पर हूं तो मां का बहुत बड़ा रोल है।’


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