Kartik Aaryan Chandu Champion; Padmashri Muralikant Petkar Story Explained | भारत के पहले पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर: जिन्हें भारत-पाकिस्तान जंग में 9 गोलियां लगीं; कार्तिक की फिल्म चंदू चैंपियन इन्हीं की लाइफ पर बेस्ड है


43 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

कार्तिक आर्यन की अपकमिंग फिल्म चंदू चैंपियन 14 जून 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म की कहानी भारत के पहले पैरालिंपिक तैराक मुरलीकांत पेटकर की लाइफ से इंस्पायर्ड है।

मुरलीकांत पेटकर इंडियन आर्मी का हिस्सा रहे हैं। 1965 में भारत-पाकिस्तान जंग में उन्हें 9 गोलियां लगी थीं। इस जंग में उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि कमर से नीचे लकवा मार दिया था। वे चलने तक की स्थिति में भी नहीं थे। हालांकि इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी वे रुके नहीं। उन्होंने 1972 में भारत के पहले पैरालिंपिक तैराक का खिताब अपने नाम किया।

फिल्म रिलीज के पहले पढ़िए कौन थे मुरलीकांत पेटकर…

ये तस्वीर भारत के पहले पैरालिंपिक तैराक मुरलीकांत पेटकर की है।

ये तस्वीर भारत के पहले पैरालिंपिक तैराक मुरलीकांत पेटकर की है।

शुरुआत से स्पोर्ट्स में माहिर थे
मुरलीकांत पेटकर का जन्म 1 नवंबर 1944 को महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका रुझान स्पोर्ट्स में ज्यादा था। उन्हें कुश्ती का शौक था। वे अक्सर कुश्ती के अखाड़े में देखे जाते थे। 12 साल की उम्र में उन्होंने गांव के मुखिया के बेटे को कुश्ती में हरा दिया था। उन्हें लगा कि इस जीत के बाद पूरा गांव इस बात की खुशी मनाएगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ बल्कि उनके परिवार को मुखिया के लोगों ने धमकी दी।

इस जीत में मुरलीकांत को 12 रुपए मिले थे। लगातार धमकी मिलने की वजह से उन्होंने 12 रुपए लिए और घर से भाग गए। इस बात को तो कुछ दिन बाद मुरलीकांत भूल गए, लेकिन उन्हें भी नहीं पता था कि आने वाले समय में गांव क्या पूरी दुनिया उनकी सफलता को सेलिब्रेट करेगी।

बड़े होने पर इंडियन आर्मी का हिस्सा बने
बड़े होने पर मुरलीकांत ने इंडियन आर्मी ज्वाइन कर ली। यहां पर भी उनका रुझान स्पोर्ट्स में कम नहीं हुआ। यहां वे बॉक्सिंग करने लगे थे। 1964 में टोक्यो में हुए इंटरनेशनल सर्विसेज स्पोर्ट्स मीट में उन्होंने एक अवॉर्ड अपने नाम किया था।

1965 की जंग में मुरलीकांत को 9 गोलियां लगी थीं
1965 में मुरलीकांत की पोस्टिंग सियालकोट में थी। सितंबर के महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हो गई। इस जंग में मुरलीकांत ने भी हिस्सा लिया। युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों से लड़ते हुए उन्हें 9 गोलियां लगी थीं। एक गोली तो उनकी रीढ़ में धंस गई थी। इतना ही नहीं एक ट्रक उनके पैरों के ऊपर से गुजर गया था, जिस वजह से कमर से निचले हिस्से में लकवा मार गया था।

कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इस हादसे में कुछ समय के लिए उनकी याददाश्त भी चली गई थी।

1972 में बने भारत के पहले पैरालिंपिक तैराक
इतनी ज्यादा खराब हालत के बाद भी मुरलीकांत बिस्तर पर पड़े नहीं रहना चाहते थे। वे परिवार पर बोझ भी नहीं बनना चाहते थे। यहां उन्होंने एक बार फिर से स्पोर्ट्स का सहारा लिया। कुछ महीनों के इलाज के बाद उन्होंने कोच की मदद से स्विमिंग सीखना शुरू कर दिया।

फिर उन्होंने पैराफ्री स्विमिंग की कैटेगरी में पैरालिंपिक की तैयारी शुरू कर दी। कुछ समय बाद उनकी यह मेहनत रंग लाई। 1972 में उन्होंने 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग को महज 37.33 सेकंड में ही पार कर लिया। इसी के साथ वे भारत के पहले पैरालिंपिक तैराक बन गए और गोल्ड मेडल से नवाजे भी गए।

एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते मुरलीकांत पेटकर।

एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते मुरलीकांत पेटकर।

टाटा ग्रुप से मदद लेने से कर दिया था इनकार
किस्सा यह भी है कि टाटा ग्रुप ने 1965 की जंग में घायल हुए फौजियों की मदद करने का फैसला किया था। हालांकि मुरलीकांत ने मदद लेने से मना कर दिया था। उनका मानना था कि कोई भी उनकी हालत पर दया ना दिखाए। भले ही वो विकलांग हैं, लेकिन वो खुद का ख्याल रख सकते हैं। कंपनी से उनका कहना था कि उन्हें मदद की जरूरत नहीं है, अगर देना है तो काम दें।

उनका यह जवाब सुन कंपनी के लोग इंप्रेस हो गए और उन्हें Telco में नौकरी का ऑफर दे दिया। यहां मुरलीकांत ने 30 साल तक काम किया था।

अर्जुन अवॉर्ड चाहते थे लेकिन सरकार ने कर दिया था मना
विकलांग होने के बावजूद मुरलीकांत ने देश समेत दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। लेकिन उन्हें वो सम्मान वक्त पर नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। उन्होंने 1982 को तत्कालीन सरकार को चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने गुजारिश की थी कि वे अर्जुन अवॉर्ड के हकदार हैं। हालांकि सरकार ने उनकी यह गुजारिश खारिज कर दी थी।

इस बात से वे बहुत दुखी हुए। उनका मानना था कि विकलांग होने की वजह से इस सम्मान से वंचित रखा गया। सरकार के इस रवैया के बाद उन्होंने अपने सारे अचीवमेंट्स के सबूत (जिसमें मेडल और सर्टिफिकेट्स में भी शामिल थे) का एक गट्ठर बनाकर हमेशा के लिए एक कोने में छिपा कर रख दिया।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्मश्री लेते हुए मुरलीकांत।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्मश्री लेते हुए मुरलीकांत।

2018 में खबर मिली कि पद्मश्री से सम्मानित किए जा रहे हैं
इस बात को कई साल बीत गए। मुरलीकांत इस बात को भूल भी गए थे। तभी 2018 में उनके पास एक कॉल आया। उन्हें बताया गया कि इस साल उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना है। ये बात सुन वे खुशी से झूम उठे थे। फिलहाल 79 साल के मुरलीकांत परिवार के साथ पुणे में रहते हैं।

फिल्म चंदू चैंपियन का डायरेक्शन कबीर खान कर रहे हैं।

फिल्म चंदू चैंपियन का डायरेक्शन कबीर खान कर रहे हैं।

बीते शनिवार को फिल्म चंदू चैंपियन का ट्रेलर रिलीज हुआ है। ट्रेलर लॉन्च इवेंट में फिल्म के हीरो कार्तिक आर्यन ने फिल्म के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘जब डायरेक्टर कबीर खान सर ने मुझे इस कहानी का नैरेशन दिया था, तो मैं हैरान रह गया। मैंने सर से यही सवाल किया कि क्या यह सच्ची स्टोरी है या फिक्शनल है। सवाल इसलिए किया क्योंकि इस स्टोरी में बहुत सारे टर्न एंड ट्विस्ट हैं। इस कहानी में बहुत सारे हिस्टोरिकल मोमेंट्स भी हैं। ऐसी चीजें सामान्य तौर पर किसी की लाइफ में घटित नहीं हो सकती हैं।

कबीर सर और साजिद सर की वजह से मैंने फिल्म के लिए हामी तो भर दी थी। लेकिन 1-2 महीने मन में संयश था कि मैं इस फिल्म को कर पाऊंगा या नहीं। इतने महीने से रोज जिम जा रहा था, खाना भी नहीं खा रहा था और ना ही कोई दूसरी फिल्म साइन कर रहा था। हालांकि अब यहां पहुंचने के बाद सारा डर खत्म हो गया है।’


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *